
जब आधार कार्ड की शुरुआत हुई थी तो इसके केवल पहचान के रुप में प्रयोग किया जाता था। इसके बाद सरकार ने धीरे-धीरे आधार कार्ड से बैंक खाते, पेन कार्ड, राशन कार्ड और न जाने क्या-क्या लिंक कर दिया। अब आधार कार्ड से मतदान पहचान पत्र को भी लिंक किया जा रहा है। इसका निर्णय मुख्य चुनाव आयुक्त, गृह सचिव तथा अन्य अधिकारियों की बैठक में लिया गया।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के नेतृत्व में निर्वाचन सदन में अधिकारियों की बैठक हुई। बैठक में सभी ने निर्णय लिया गया कि अब आधार कार्ड से मतदाता पहचान पत्र काे भी लिंक किया जाना चाहिए। ताकि जब भी मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करे तो उसे पता चलना चाहिए कि उसका मतदान हो गया है। यह सभी कार्य संविधान के अनुच्छेद 326 के प्रावधानों के अनुसार ही किया जाएगा।
फर्जी मतदाताओं की होगी पहचान
आधार कार्ड से मतदाता पहचान पत्र को लिंक करने का मुख्य उद्देश्य फर्जी मतदान को रोकना है। अधिकारियों का मानना है कि मतदाता पहचान पत्र जब आधार कार्ड से लिंक हो जाएगा तो फर्जी मतदान पर रोक लग सकेगी। यह सभी भविष्य को सोचकर फैसला लिया गया है। बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू तथा डॉ. विवेक जोशी ने भाग लिया।
इसके अलावा इस बैठक में केंद्रीय गृह सचिव, विधायी विभाग के सचिव, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव और यूआईडीएआई के सीईओ तथा चुनाव आयोग के तकनीकी विशेषज्ञ शामिल हुए थे। बैठक में संविधान के अनुच्छेद 326 के प्रावधानों तथा सर्वोच्च न्यायालय के पुराने निर्णयों का भी हवाला दिया गया। इसमें यह भी ध्यान रखा जाएगा कि इसमें किसकी भी प्रकार से नागरिकों के अधिकारों को सुरक्षित रखा जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने निष्पक्ष और स्वतंत्र मतदान के लिए सरकारों के निर्देश जारी किए थे। चुनाव आयोग इस विषय को गंभीरता से ले रहा था। इसी कड़ी में यह फैसला किया गया है ताकि मतदान को निष्पक्ष और प्रभावी बनाया जा सके। अनुच्छेछ 326 के अंतर्गत जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 950 की धारा 23(4), 23(5) और 23(6) के प्रावधानों में भी ऐसी आशा व्यक्त की गई है।
सभी प्रदेशों के चुनाव अधिकारी करेंगे बैठक
मुख्य चुनाव आयुक्त ने इस संबंध में 31 मार्च को बैठक बुलाई है। इसमें निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों, जिला चुनाव अधिकारियों और मुख्य चुनाव अधिकारियों की बुलाया जाएगा। इसके अलावा इस संबंध में सभी राष्ट्रीय और राज्य से मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से भी सुझाव मांगे हैं। सभी पार्टियों को अपने सुझाव देने होंगे। इसके बाद ही मुख्य चुनाव आयोग इस संबंध में अंतिम फैसला लेगा।
पहले भी हो चुका है ऐसा प्रयास
ऐसा नहीं है कि इस प्रकार का प्रयास अभी किया जा रहा है। इससे पहले भी ऐसा प्रयास चुनाव आयोग कर चुका है। चुनाव आयोग ने मार्च 2015 से अगस्त 2015 तक राष्ट्रीय मतदाता सूची की शुद्धिकरण योजना के तहत 30 करोड़ मतदाताओं को आधार कार्ड से लिंक किया था। इसमें तेलंगाना के 55 लाख लोगों के नाम छंट गए थे। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर रोक लगा दी थी। तभी से यह मामला आज तक लटका हुआ है। अब फिर आयोग इस बारे में प्रयास करने जा रहा है।